वासुदेव यादव
अयोध्या। ख़ासकर आज़कल के संत- महंत को भगवान की आराधना, गौ सन्त विद्यार्थी सेवा और समाजसेवा की वजह से जाना जाता है, लेकिन राम नगरी अयोध्या के बड़ा भक्तमाल मंदिर के महंत अवधेशदास को लोग वैज्ञानिक विधि से उन्नत फसलें उगाने के लिए अब जानते हैं। पहले यह वैज्ञानिक विधि द्वारा खुद खेती करते हैं। उसके बाद आस-पड़ोस के किसानों को बुलाकर उसके फायदे समझा कर उन्हें भी खेती किसानी के लिए प्रोत्साहित करते हैं। वे कहते है कि यदि कृषि समय से व वैज्ञानिक विधि से की जावे तो सदा यह फायदेमंद रहती हैं।
16 से 18 फुट लंबा गन्ना:
महंत अवधेश दास ने अपने खेत में ट्रेंच विधि और गड्ढा विधि से जो गन्ने पैदा किए है उनकी लंबाई 16 से 18 फुट की है। महंत का दावा है कि अरली प्रजाति का इतना लंबा गन्ना आस-पड़ोस के जिले में नहीं है। इस गन्ने की पैदावार पंजाब और उत्तराखंड में ज्यादा होती है। उन्होंने बताया सामान्य गन्ने की अपेक्षा इस गन्ने में 3 गुना ज्यादा उत्पादन होता है। इसलिए एक-एक एकड़ जमीन में 1000 से लेकर 1200 क्विंटल तक का उत्पादन हो जाता है। इन वजहों से शुगर मिलों में इसकी डिमांड आज़कल बहुत है।
अवधेशदास अन्य किसानों को सिखाते हैं गुर भी:
गेहूं के 1 दाने से 42 सौ दाने पैदा किए।यही नहीं महंत ने पिछले सीजन में एक गेहूं के दाने से 42 सौ गेहूं के दाने पैदा किए। पंजाब की इस प्रजाति से 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर अनाज का उत्पादन हुआ। महंत का मानना है कि काम इस तरीके का करना चाहिए, जिससे दूसरों को भी फायदा हो। इतना ही नहीं, महंत आस-पड़ोस के जिलों से किसानों को बुलाकर उन्हें वैज्ञानिक विधि से खेती करने का हुनर सिखाते हैं ताकि उनको लाभ हो। ज्ञात हो देश की लगभग 70% आबादी सीधे या परोक्ष रूप से कृषि पर ही आज़कल निर्भर है। अतः कॄषि को समय पर वैज्ञानिक विधि से करके देश समाज किसान को समृद्धि बनाया जा सकता हैं।
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