■ नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं स्वास्थ्य कर्मी
आलोक बर्नवाल
संतकबीरनगर। सरकार द्वारा स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के लिए जहां करोड़ों रुपए खर्च किया जा रहा है और स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है वही जनपद के जिम्मेदार ही सरकार के सपनों को ठेंगा दिखाते हुए अस्पताल परिसर में ही गंदगी का अंबार लगाए हुए हैं। मजे की बात यह है कि जिला चिकित्सालय में साफ सफाई के लिए जहां लाखों रुपए हर महीने खर्च किया जाता है। लेकिन उसके बाद भी स्थिति बद से बदतर बनी हुई है। जिला चिकित्सालय में कार्यरत चिकित्सा अधिकारियों व स्वास्थ्य कर्मियों के लिए बने आवास मे रहने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को नारकीय जीवन जीने के लिए मजबूर है। क्योंकि कॉलोनी में साफ सफाई की कोई भी व्यवस्था जिला प्रशासन द्वारा नहीं कराया जाता लेकिन इसके लिए आया हुआ बजट हर महीने खर्च किया जा रहा है। इस संदर्भ में जानकारी देते हुए फार्मासिस्ट संघ के जिला मंत्री नित्यानन्द त्रिपाठी ने बताया कि जिम्मेदारों की उपेक्षा के कारण हम सभी कॉलोनी वासी नरकी जीवन जीने को मजबूर हैं जहां सरकार द्वारा लाखों रुपए हर महीने साफ-सफाई के लिए दिया जाता है लेकिन कैंपस की साफ सफाई के नाम पर आया हुआ धन तो खाते से गायब हो जाता है। लेकिन साफ सफाई नहीं होती जिसे विभिन्न प्रकार की बीमारियों का खतरा यहां रहने वाले लोगों के लिए बना हुआ है। जब स्वास्थ्य कर्मी ही स्वस्थ नहीं रहेंगे तो वह यहां आने वाले मरीजों को क्या सेवा दे सकते हैं। वहीं विभाग द्वारा यहां रहने वालों को स्वच्छ पानी तक उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। दूषित पानी से लोग गंभीर बीमारियों के चपेट में आ रहे हैं तो वही कॉलोनी में बना हुआ सीवर भर चुका है उसका पानी ओवरफ्लो होकर लोगों के आवास के सामने लगा लग रहा लेकिन जिम्मेदार कभी भी इसके प्रति कुछ भी नहीं सोच रहे। स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि आखिर हम लोग कैंपस में कैसे रहे यह एक बड़ी समस्या है।

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