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सियासत में न मजहब उछाला जाए...



गौरव तिवारी

लालगंज प्रतापगढ़। गुरुवार की शाम कंजास किठावर में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन मे गुरूवार को नामचीन कवियों एवं शायरों ने अपनी काव्य साधना से लोगों को सराबोर कर दिया।


आयोजक आरएल चतुर्वेदी ने माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर कवि सम्मेलन का शुभारंभ किया। संयोजक अंजनी अमोघ ने कवियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया। 


लखीमपुर से आईं कवयित्री रंजना सिंह हया की वाणी वंदना से कार्यक्रम का आगाज हुआ। मऊ से आये ओजकवि पंकज प्रखर ने राष्ट्र भावना से प्रेरित पंक्तियाँ कुछ यूं पढ़ीं कि-आओ याद करें उन सबको जिन वीरों ने लहू दिया है, रक्षा हेतु मातृभूमि की हँसते-हँसते गरल पिया है। 


वाराणसी की कवयित्री विभा शुक्ला ने श्रृंगार की कविता को पढा कि-कान्हा तेरी याद में हद से गुजर गए, जीती हूँ लम्हे देख के लम्हे ही मर गए। 


हास्य कवि दमदार बनारसी ने अपने छंदों एवं व्यंग से लोगों के चेहरे पर मुस्कान विखेरी। लखनऊ से आये ओजकवि योगेश चौहान ने भारत माता की वंदना के गीत प्रस्तुत किये तो संयोजक ओजकवि अंजनी अमोघ ने पढ़ा कि-धरा से उठो गगन चूम लो, तिरंगे से लिपटा बदन चूम लो। 


प्रयागराज से पधारे गीतकार शैलेंद्र मधुर ने पढ़ा-गीत कविता है रुबाई है, सूर कबीरा है मीराबाई है। 


अनूप प्रतापगढ़ी ने पढ़ा-कि चलो और मजबूती से रिश्ता सम्भाला जाए, सियासत में न मजहब उछाला जाए। 


कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कानपुर के कवि ध्रुव त्रिपाठी ने पढ़ा कि-रास्ता देता नही सागर किसी को प्यार से, छीनी जाती हैं हमेशा कस्तियाँ मझधार से। 


कवि विपिन मलिहाबादी, अम्बरीष ठाकुर, रंजना सिंह हया ने भी अपने काव्यपाठ से लोगों को खूब गुदगुदाया। 


कार्यक्रम में पत्रकारों व समाजसेवियों व क्षेत्रीय कवियों को भी सम्मानित किया गया। आए हुए अतिथियों का स्वागत सह आयोजक विद्याप्रसाद एवं वेदप्रकाश चतुर्वेदी ने किया। 


इस मौके पर देवेंद्र त्रिपाठी, हमचंद, शिवकुमार दुबे, धर्मेंद्र पांडेय, शेष नारायण तिवारी, नीरज तिवारी, भूपेश तिवारी, मुकेश मिश्रा, चन्द्रप्रकाश, विजयशंकर, प्रमोद पाण्डेय, धीरज दुबे आदि रहे।

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