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करनैलगंज: आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में एक कवि सम्मेलन व मुशायरे का हुआ आयोजन



रजनीश / ज्ञान प्रकाश 

करनैलगंज(गोंडा)। आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में एक कवि सम्मेलन व मुशायरे का आयोजन घंटाघर चौक बाजार में किया गया। 


जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार गणेश तिवारी नेश व संचालन याकूब सिद्दीकी अज्म गोंडवी व कवि रविंद्र पांडेय रवि ने संयुक्त रूप से किया। 


कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्वलित व माल्यार्पण कर किया गया। 


उसके बाद सभी कवियों एवं शायरों का व्यापार मंडल के पदाधिकारियों उमेश चंद्र मिश्रा, राहुल प्रताप सिंह, श्याम जी गुप्ता, इदरीश कादरी, अल्ताफ राईनी, कमर अहमद, दिलीप सिंह, रामजी गुप्ता ने माल्यार्पण कर बैज लगाकर स्वागत किया। 


कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पुलिस क्षेत्राधिकारी मुन्ना उपाध्याय ने वीर शहीदों को नमन करते हुए एक कविता कही और जयदीप सिंह सरस की सरस्वती वंदना एवं सगीर अहमद सिद्दीकी की नाते पाक से कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। 


अध्यक्षता कर रहे कवि गणेश प्रसाद तिवारी नेश ने पढा- मानवता की फटी है चादर, दिनभर इसको सिलता हूं। सोते समय रात में इससे अपनी इज्जत ढकता हूं। 


उस्ताद शायर मुजीब अहमद सिद्दीकी शेर पढ़ा- इंसान की फितरत में अजब है तासीर, ज्यादा जो दबाओगे तो उभर जाता है। 


कवि कृष्ण कुमार सिंह दीप ने आवाहन किया कि- जाति धर्म भाषाओं का मौसम सतरंगा हो जाए, इंद्रधनुष यदि बने लेखनी धन्य तिरंगा हो जाए। 


हास्य व्यंग के मशहूर शायर असलम घूरनपूरी ने पढ़ा- वतन की आन पर हम अपनी शान लिख देंगे, जिगर के खून से भारत महान लिख देंगे। 


वरिष्ठ व्यंग्यकार संतराम सिंह संत ने पढ़ा- पचहत्तर वर्षों से आजादी मना रहे हैं, धीरे-धीरे बर्बादी के करीब आ रहे हैं। कवि जयदीप सिंह सरस ने पढ़ा- अंदर अंदर कुर्सी जिंदाबाद रहे, बाहर बाहर तिरंगा जिंदाबाद रहे। 


अहमद रजा बहराइची ने पढ़ा- रहने को एक फूस का छप्पर सही मगर, अल्लाह का करम है ठिकाना है मेरे पास। 


कवियत्री ज्योतिमा शुक्ला रश्मि ने गजल का समा बांधा उन्होंने पढ़ा- मुस्कुराते हैं तोड़ कर दिल को, जिन पर हम जां निसार करते हैं। 


सगीर अहमद सिद्दीकी ने शेर पढ़ा- जो तिरंगा निशां हमारा है, शान उसकी घटा नहीं सकते, सर कटा देंगे उसकी अजमत पर, सर को अपने झुका नहीं सकते। 


व्यंग्यकार बीरेंद्र तिवारी बेतुक ने पढ़ा- जो कातिल को कातिल ना बोले, वह कवि नहीं चाटुकार है। वह नहीं आराधक मां भारती का, उसका कविता लेखन व्यापार है। कवि अवध राज वर्मा करुण ने पढ़ा- देश पर बलिदान का अभिमान जिसने भर दिया, वीरता के यस से नभ सा मान ऊंचा कर दिया। 


कवि रविन्द्र पांडेय ने पढ़ा- नापाक इरादे हैं तेरे और चाल तेरी शैतानी है, नेस्त नाबूद हो जाएगा, ये ताकत हिंदुस्तानी है। कवि अजय कुमार श्रीवास्तव ने पढ़ा- सिख, इसाई, हिंदू, मुसलमान मत करो, इंसानियत को और परेशान मत करो। 


शायर तनवीर नूरी ने पढ़ा- कोई पुकारे अल्लाहुअकबर कोई पुकारे राम, तिरंगा तुझे सलाम तिरंगा तुझे सलाम। उत्तम कुमार सोला ने अपनी रचना पढ़ी- लड़े हम से किसी में दम नहीं, कि भारत अब किसी से कम नहीं। 


इसके अलावा कवि राम कुमार मिश्रा कुमार, ईमान गोंडवी, कौसर सलमानी, याकूब सिद्दीकी, आतिफ गोंडवी, अलताफ राईनी, निजाम अंसारी ने भी अपनी रचनाएं सुनाई। 


इस मौके पर कोतवाल सुधीर कुमार सिंह, चौकी प्रभारी दिवाकर मिश्रा, डॉक्टर गिरधर गोपाल वैश्य, अशोक सिंघानिया, जावेद चीनी, महेश गुप्ता, डॉ रामतेज, मोहम्मद सईद, क्रांति गुप्ता, प्रिंस, फारुख सिद्दीकी, अंकुर सिंघानिया सहित भारी संख्या में लोग मौजूद रहे।

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