आनंद गुप्ता
पलियाकला खीरी:राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने आज स्थापना दिवस पर शस्त्र पूजन कार्यक्रम किया। कार्यक्रम में 84 स्वयंसेवकों ने सहभाग किया।
शस्त्र पूजन के पश्चात कार्यक्रम में स्वयंसेवकों को सम्बोधित करते हुए जिला सेवा शिक्षण प्रमुख वीरेन्द्र वर्मा ने बताया कि संघ की स्थापना 27 सितंबर 1925 विजयदशमी के दिन हुई।
संघ संस्थापक डॉक्टर हेडगेवार जी एक जन्मजात स्वयंसेवक थे। पूजनीय केशव जी ने 1914 में एल.एम. एण्ड एस. आज के एमबीबीएस के समकक्ष परीक्षा पास करके अपने निजी जीवन के लिए चिकित्सक के रूप में कार्य न करके परतंत्र समाज की चिकित्सा का वीणा उठाया और भारत माता को स्वतंत्र कराने के लिए क्रान्ति पथ के पथिक बन गए।
आज पूरे देश में संघ की 50,000 से अधिक शाखाएं हैं यदि प्रत्येक शाखा पर 10 स्वयंसेवकों का औसत लिया जाए। तो पूरे देश में संघ ही ऐसा संगठन है जिसके लगभग 500000 लोग राष्ट्र के चिन्तन के लिए प्रतिदिन 1 घंटे का समय निकालते हैं।
इसलिए संघ पूरे विश्व में इकलौता राष्ट्रभक्ति में रत एक अनूठा संगठन है। जिसके स्वयंसेवकों का ध्येय केवल भारत वन्दन है। आज विजयदशमी भी है इसी दिन भगवान श्रीराम ने 9 दिन तक शक्ति की आराधना करते हुए आतताई रावण का संहार किया था।
उन्होंने ऐसे पिछड़े वनवासी, गिरिवासी समाज को लेकर संगठित किया। तत्पश्चात सभी के संगठित प्रयास से लंका का प्रतापी राजा रावण जो कि चारों वेदों का ज्ञाता 18 पुराण का अध्येता था अपनी अनैतिक दुष्प्रवृत्तियों के कारण मारा गया।
रामायण केवल पढ़ने के लिए नहीं अपितु जीवन में उतारने का एक महाकाव्य है एक जीवन जीने का संविधान है। इसमें भगवान श्री राम एक आदर्श मानव के रूप में नैतिकता का आधार प्रस्तुत करते हैं। एक भाई को कैसे जीना है ? भ्रातृत्व प्रेम, पितृ भक्ति, मातृत्व का सम्मान तथा एक राजा के रूप में प्रजावत्सल होना कोई भगवान श्रीराम से सीखे।
नव दुर्गा देवी के 9 रूपों की आराधना का पर्व है ग्रीष्म एवं शारदीय दोनो नवरात्रि का भगवान श्री राम से सीधा नाता है। चैत्र नव रात्रि के नवें दिवस भगवान श्री राम का जन्म होता है। हम श्री राम नवमी मनाते हैं।
शारदीय नवरात्रि के समापन पर शक्ति की आराधना के पश्चात विजय दशमी के दिन रावण वध होता है। जिसे हम बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक स्वरूप दशहरा उत्सव के रूप में मनाते हैं।
आज के दिन हमें नई शाखाओं का संकल्प लेना चाहिए। अपनी शाखा में संख्या वृद्धि कैसे हो ? इसका विचार करना चाहिए अर्थात सीमा उल्लंघन से संघ कार्य के विस्तार का हर संभव प्रयास करना चाहिए।
शाखा हमारे कार्य का आधार है, संघ की शाखा में खेले जाने वाले खेलों से सहज ही राष्ट्रीयत्व और देशभक्ति का भाव जागृत होता है। कबड्डी खेलते समय हमें दूसरे की जाति नहीं केवल उसका पैर ही दिखाई देता है। इन सब सहज क्रियाकलापों से समरस समाज की स्थापना बड़ी सरलता से होती है।
समरसता के लिए कोई अलग से सिद्धांत बताने की आवश्यकता नहीं होती। हम छोटी-छोटी बातों को ठीक करते हुए राष्ट्र के लिए सर्वस्व अर्पण करने की योजना बनाकर एक मजबूत राष्ट्र भक्त बनकर राष्ट्र के लिए समर्पित कार्यकर्ता के रूप में कब तैयार हो जाते हैं .. इसका भान ही नहीं होता।
इसलिए आज के इस पुनीत पावन दिवस पर हम सभी को अपनी शाखा को मजबूत करने का संकल्प लेना चाहिए। संघ निष्ठा शाखा के माध्यम से ही आती है।
इसलिए शाखा को अपना ध्येय बनाकर संघ समर्पित जीवन जीने का अपने आप से एक वादा करें। तो आज के कार्यक्रम को मनाने का उद्देश्य पूर्ण होगा।
कार्यक्रम में यह लोग रहे उपस्थित
आज के उत्सव में सह जिला कार्यवाह बलजीत सिंह, शिव पाल सिंह, (विद्यालय के सह प्रबन्धक)नगर कार्यवाह अभिषेक, नगर बौद्धिक प्रमुख चन्द्रेश्वर, विजय गुप्ता , उदय वीर सिंह भाजपा नगर अध्यक्ष, ठाकुर नत्थू सिंह पूर्व सभासद, संघ कार्यकर्ता कुलदीप जायसवाल, पंकज गुप्ता, घनश्याम गुप्ता, सोहम त्रिपाठी, अनुपम बाजपेई, पवन सिंह, आदि कुल 84 स्वयंसेवक उपस्थित रहे। कार्यक्रम में मुख्य शिक्षक अनुज राना रहे संघ प्रार्थना नगर शारीरिक प्रमुख अभिषेक गुप्ता एवं एकल गीत महेश जी ने प्रस्तुत किया।
एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ