Women farmers got training in mushroom production at Krishi Vigyan Kendra
सुनील उपाध्याय
बस्ती। जिले मे ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के उदेश्य से कृषि विज्ञानं केंद्र बस्ती में मशरूम उत्पादन तकनीकी से रूबरू कराने के लिए ग्रामीण फाउंडेशन इंडिया द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसमें कार्यक्रम की मुख्य अतिथि नेशनल हैंडबाल खिलाड़ी हिना खातून नें प्रशिक्षुओं को प्रमाणपत्र वितरित किया. डॉ. एस. एन सिंह नें महिला किसानों को मशरूम के विभिन्न प्रजातियों के बारे में जानकारी दी. इस मौके पर उन्होंने महिला किसानों का हौसला बढाया. कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी वैज्ञानिक डॉ. डी. के श्रीवास्तव नें मशरूम की खेती के लिए अनुकूल जलवायु की अपार संभावनाओं पर बल डाला।
नेशनल हैंडबाल खिलाड़ी हिना खातून नें प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए कहा समय बदल रहा है और नारी सशक्तिकरण की ओर अग्रसर हो रही है तथा आज की महिलाएं भी पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रही साथ है हिना ने महिलाओं को आत्मनिर्भर की तरफ बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित
वैज्ञानिक फसल सुरक्षा डॉ. प्रेम शंकर ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रशिक्षण का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना है। मशरूम की विभिन्न किस्मों को मौसम के हिसाब से खेती पूरे साल सुगमतापूर्वक की जा सकती है। इसे किसी कमरे या दलान में या टेंट या सेड के अंदर किया जा सकता है।
मशरूम उत्पादन के लिए चाहिए
मशरूम उत्पादन के लिए बीज, पुआल, पॉलीथिन, थिरम व कार्बाक्सिंन मिश्रण,फारमलिन, यूरिया, सुपर, पोटास, कैन खाद, मुर्गी की खाद, चोकर, जिप्सम आदि की आवश्यकता पड़ती है। 1 किलो स्पान द्वारा खेती पर लगभग 2 सौ रुपए का खर्च आता है। जिससे 12 सौ से 15 सौ रुपए की आमदनी होती है।
वैज्ञानिक डॉ. प्रेम शंकर ने महिला कृषकों को धान के पुआल को स्टेरिलाइज करके बीज डालने का तरीका एवं पॉलीथिन में भरकर इसे 15-20 दिनों तक लटकाने की विधि को समझाया। उन्होंने बताया कि एक फसल की तोड़ाई में लगभग 35-40 दिन लगते हैं तथा 1 किलो बीज द्वारा 10-12 किलो मशरूम तैयार हो जाता है. जिसकी बाजार में कीमत 150 से 200 रुपए प्रति किलोग्राम है. वैज्ञानिक डॉ. वी.बी सिंह ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रतिभागी महिला कृषकों को मशरूम की खेती विषय पर स्थलीय व प्रायोगिक प्रशिक्षण देते हुए विस्तारपूर्वक जानकारी दी.वैज्ञानिक गृह विज्ञान डॉ. अंजली नें महिलाओं को मशरूम से विभिन्न प्रकार के पकवानों को बनाने की जानकारी व स्वयं संचालित उद्यम करके आत्मनिर्भर बनाने के लिए मशरूम उत्पादन की विभिन्न तकनीकों के बारे में बताया.
उन्होंने बटन मशरूम के उत्पादन एवं उसका प्रसंस्करण करने की विधियों के बारे में किसानों को बताया तथा इसके प्रसंस्करण करके कैसे इसे अधिक दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है के बारे में प्रशिक्षनार्थियों को अवगत कराया. ग्रामीण फाउंडेशन इंडिया के जिला प्रबंधक मनीष कुमार नें कृषकों को मशरूम के विभिन्न उत्पाद बनाकर उसके मूल्य वर्धन एवं गुणवत्ता को लंबे समय तक बनाए रखने के बारे में अवगत कराया साथ-साथ वे किसान जो पहले से मशरूम उत्पादन कर रहे हैं उनसे उनके अनुभव के बारे में जाना. प्रशिक्षक अनुपमा वर्मा नें महिला किसानों के लिए आय सृजन स्रोत के रूप में मशरूम की खेती के महत्त्व पर प्रकाश डाला. इस मौके पर इन्द्रावती, दिव्या, राममूर्ति मिश्र, यशोदा, शान्ति, अंजू, गुडिया, लक्ष्मी, रीमा, राबिया खातून, मीना, सोनम देवी,आरती देवी, सहित अनेकों महिला किसान मौजूद रहीं.
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