पं बागीश तिवारी
गोंडा:आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र मनकापुर गोंडा द्वारा आज दिनांक 7 जून 2023 को ग्राम सीरगौरा विकासखंड मनकापुर जनपद गोंडा में प्रगतिशील कृषक शिवप्रसाद यादव के खेत में धान की सीधी बुवाई कराई गई ।
केंद्र के प्रभारी अधिकारी डॉ. पीके मिश्रा ने बताया कि धान की सीधी बुवाई करने से रोपाई की तुलना में लागत कम हो जाती है तथा भरपूर उत्पादन मिलता है । प्रति इकाई क्षेत्रफल में ज्यादा शुद्ध आय प्राप्त होती है । डॉ. रामलखन सिंह वरिष्ठ वैज्ञानिक शस्य विज्ञान ने धान की सीधी बुवाई को लाभप्रद बताया ।
उन्होंने बताया कि धान की सीधी बुवाई जीरो टिल सीड कम फर्टीड्रिल मशीन,सामान्य सीडड्रिल मशीन व मल्टीक्रॉप सीडर आदि के द्वारा की जा सकती है । धान की सीधी बुवाई मल्टीक्राप सीडर के द्वारा कराई गई । प्रगतिशील कृषक शिव प्रसाद यादव द्वारा आवश्यक निवेशों डीएपी, धान बीज व खरपतवारनाशी रसायन पेन्डीमेथलीन का प्रबंध कर धान की सीधी बुवाई करवाई गई ।
धान की सीधी बुवाई करते समय धान बीज एवं डीएपी उर्वरक का प्रयोग किया जाता है । यूरिया,म्यूरेट आफ पोटाश व जिंक सल्फेट का प्रयोग बुवाई के 3 या चार सप्ताह बाद किया जायेगा । धान की सीधी बुवाई मे प्रयुक्त मल्टीक्राप सीडर में 9 फाल हैं, जिसमें बीज एवं उर्वरक की नली जुड़ी होती है । बुवाई करते समय बीज के नीचे उर्वरक गिरता है ।
धान बीज का जमाव होने पर फास्फेटिक उर्वरक आवश्यकतानुसार पौधे को उपलब्ध हो जाता है, जिससे पौधे का विकास अच्छा होता है । फास्फेटिक उर्वरक गतिशील नहीं होता है । पौधों की जड़ों के संपर्क में आने पर फसल को उपलब्ध होता है । एसपी मिश्रा डॉ. रेड्डीज फाउंडेशन ने बताया कि विकासखंड मनकापुर में 450 एकड़ क्षेत्रफल में धान की सीधी बुवाई कराई जा रही है । इसमें तकनीकी सहयोग कृषि विज्ञान केंद्र मनकापुर गोंडा द्वारा प्रदान किया जा रहा है ।
एसपी मिश्रा ने बताया कि धान की सीधी बुवाई में मल्टीक्राप सीडर मशीन से एक दिन में 8 से 9 एकड़ क्षेत्रफल की बुवाई हो जाती है । धान की सीधी बुवाई मध्य मई से लगातार होने के कारण जून माह तक मशीन का लागत मूल्य अदा हो जायेगा । धान की सीधी बुवाई में सिंचाई जल की भारी बचत होती है । लेव लगाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है ।
लेव लगाने में सिंचाई जल का ज्यादा प्रयोग किया जाता है । धान की सीधी बुवाई से पूर्व खेत को समतल करें । धान की रोपाई के समय श्रमिकों की कमी होने के कारण रोपाई में विलम्ब होता है, जिससे धान की पैदावार कम हो जाती है ।
डॉ. मनोज कुमार सिंह उद्यान वैज्ञानिक ने बताया कि धान की सीधी बुवाई से धान बुवाई के अलावा अरहर उर्द मूंग ज्वार मक्का गेहूं मटर मसूर आदि की भी सीधी बुवाई सफलतापूर्वक की जा सकती है । शिव प्रसाद यादव प्रगतिशील कृषक द्वारा वर्मी खाद उत्पादन इकाई भी स्थापित की गई है ।
कृषक के द्वारा घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु भिंडी तोरई लौकी कद्दू आदि सब्जियों का भी उत्पादन किया जाता है । श्री यादव द्वारा गोपालन भी किया गया है । गोमूत्र एवं गाय के गोबर का प्रयोग खेती में किया जाता है ।
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