उमेश तिवारी
देश में टमाटर की कीमतों में रिकॉर्ड उछाल ने लोगों को परेशान कर रखा है। टमाटर की ऊंची कीमतों के बीच केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि भारत नेपाल से टमाटर का आयात करेगा। कहा जा रहा है कि नेपाली टमाटर थोड़ा सस्ता हो सकता है। इस सप्ताह आपके घरों में नेपाली टमाटर पहुंच सकता है।
पिछले तीन महीनों में थोक बाजार में टमाटर की कीमतें 1,400 प्रतिशत से अधिक बढ़कर रिकॉर्ड 140 रुपये से लेकर 400 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंची है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में अपने भाषण के दौरान बताया कि आयात की पहली खेप शुक्रवार तक उत्तर भारत के वाराणसी, लखनऊ और कानपुर शहरों में पहुंचने की संभावना है। बाद में अन्य शहरों में भी टमाटर की खेप भेजी जाने की संभावना है। बता दें कि सरकार सहकारी समितियों के जरिए लोगों को सब्सिडी पर टमाटर दे रही है।
पिछले तीन महीनों में थोक बाजार में टमाटर की कीमतें 1,400 प्रतिशत से अधिक बढ़कर रिकॉर्ड 140 रुपये से लेकर 400 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंची हैं। किसानों ने खराब बारिश, उच्च तापमान और फसल पर वायरस के प्रकोप सहित कई अन्य कारणों को टमाटर उपज में गिरावट और आपूर्ति में देरी का हवाला दिया है।
आरबीआई मौद्रिक नीति समिति की बैठक के प्रमुख फैसलों की घोषणा करते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने 10 अगस्त को यह भी कहा कि टमाटर की कीमतों में बढ़ोतरी और अनाज, दालों में बढ़ोतरी ने मुद्रास्फीति में योगदान दिया है। उन्होंने आगे कहा कि जल्द ही सब्जियों की कीमतों में महत्वपूर्ण सुधार देखने को मिल सकता है।
जून और जुलाई में टमाटर की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, जिससे मुद्रास्फीति बढ़ गई। ग्रॉस कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) में 6 प्रतिशत भार रखने वाली सब्जियों की कीमतें सात महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। कीमतें आम तौर पर अगस्त से कम हो जाती हैं, जब फसल बाजार में आती है, लेकिन इस साल व्यापारियों को उम्मीद है कि अक्टूबर तक लागत ऊंची रहेगी क्योंकि आपूर्ति में गिरावट रहने वाली है।
प्याज, बीन्स, गाजर, अदरक, मिर्च और टमाटर जैसे महंगे खाद्य पदार्थ न केवल अगले कुछ महीनों में राज्य चुनावों से पहले मतदाताओं में असंतोष पैदा कर सकते हैं। ऊंची कीमतों के चलते रिटेल मुद्रास्फीति को बढ़ावा मिलने का अनुमान है। देश के तीसरे सबसे बड़े टमाटर उत्पादक कर्नाटक के किसानों का कहना है कि कम बारिश, उच्च तापमान और वायरस के प्रकोप ने फसल को प्रभावित किया है. इसके चलते कीमतों में उछाल दर्ज किया जा रहा है।
मौसम की असमानताओं के चलते उत्पादकों से सब्जियों और टमाटर के निर्यात में सामान्य से 6 से 8 घंटे अधिक लग रहे हैं, जिसके कारण आपूर्ति के साथ गुणवत्ता भी प्रभावित हुई है। इसके चलते टमाटर की कीमत लगभग 300 रुपये तक पहुंचने का अनुमान है।
जून महीने से टमाटर की कीमतों जारी उछाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। मई में केवल 3-5 रुपये प्रति किलो कीमत पर बिकने वाला टमाटर देश के अलग-अलग हिस्सों में 200 रुपये से लेकर 400 रुपये प्रति किलोग्राम कीमत पर बिका है। बढ़ती कीमत ने जहां किसानों को मुनाफा बटोरने का सुनहरा अवसर दिया है तो वहीं कीमतों ने आम ग्राहक की कमर तोड़ दी है। दिल्ली एनसीआर में बीते दिन तक टमाटर की न्यूनतम कीमत 160 रुपये प्रति किलोग्राम तक रही है। लेकिन, आने वाले दिनों में कीमत घटने की बजाय और बढ़ने वाली है। थोक व्यापारियों के अनुसार टमाटर जल्द ही आपको 300 रुपये प्रति किलोग्राम की कीमत पर मिलेगा।
दिल्ली की आजादपुर मंडी में पिछले तीन दिनों में टमाटर की आवक कम हो गई है। क्योंकि भारी बारिश के कारण उत्पादक क्षेत्रों में फसल खराब हो गई है।
कृषि उपज विपणन समिति के सदस्य अशोक कौशिक ने पीटीआई-भाषा को बताया कि सब्जी के थोक विक्रेताओं को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि टमाटर, शिमला मिर्च और अन्य मौसमी सब्जियों की बिक्री में भारी गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि थोक बाजार में टमाटर की कीमतें 160 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 220 रुपये प्रति किलो हो गई हैं, जिसके कारण खुदरा कीमतें भी बढ़ सकती हैं।
इस बीच मदर डेयरी ने बुधवार को अपने सफल खुदरा स्टोर्स के माध्यम से रसोई के प्रमुख खाद्य पदार्थ टमाटर की बिक्री 259 रुपये प्रति किलोग्राम पर शुरू कर दी। प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण आपूर्ति बाधित होने के कारण टमाटर की कीमतें एक महीने से अधिक समय से दबाव में हैं। थोक व्यापारियों के मुताबिक आने वाले दिनों में टमाटर की कीमतें 300 रुपये प्रति किलोग्राम तक भी पहुंच सकती हैं।
हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन और भारी बारिश के कारण सब्जियों के परिवहन में बहुत कठिनाई हो रही है। उत्पादकों से सब्जियों के निर्यात में सामान्य से 6 से 8 घंटे अधिक लग रहे हैं, जिसके कारण टमाटर की कीमत लगभग 300 रुपये तक पहुंच सकती है। वहीं, उन्होंने कहा कि टमाटर और अन्य सब्जियां जो वे हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र से निर्यात करते हैं, उनकी गुणवत्ता में गिरावट आई है। हिमाचल प्रदेश में जुलाई में भारी बारिश हुई है, जिससे फसलों को नुकसान हुआ है।
आजादपुर कृषि उपज विपणन समिति के सदस्य अनिल मल्होत्रा ने कहा कि बाजार में टमाटर की आपूर्ति और मांग दोनों कम है और विक्रेताओं को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि विक्रेताओं को सब्जियों के देर से निर्यात, गुणवत्ता में गिरावट जैसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा ग्राहक टमाटर, शिमला मिर्च, फूलगोभी और पत्तागोभी जैसी सब्जियां खरीदने से इनकार कर रहे हैं।
मौसम की असमाताओं के कारण पिछले दो महीनों से देश भर में टमाटर की आपूर्ति प्रभावित हुई है। आजादपुर टमाटर एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक कौशिक के अनुसार पिछले तीन दिनों में टमाटर की आवक कम हो गई है। क्योंकि भारी बारिश के कारण उत्पादक क्षेत्रों में फसल खराब हो गई है। एशिया की सबसे बड़ी थोक फल और सब्जी मंडी आजादपुर मंडी में टमाटर की थोक कीमतें बुधवार को गुणवत्ता के आधार पर 170-220 रुपये प्रति किलोग्राम थी।


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