वेदव्यास त्रिपाठी
प्रतापगढ :पूरे बोधराम काछा में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन आज की कथा कहते हुए कथा व्यास आचार्य विनोदानन्द महाराज ने कहा कि कलियुग में हर प्राणी काम क्रोध और लोभ से पीड़ित है उसे अपने सुख की अपेक्षा दूसरों में कमियां दोष व दुःख देखकर प्रसन्नता प्राप्त होती है आज की कथा में सती चारित्र व जड़ भरत प्रसंग का व्याख्यान करते हुए व्यास ने कहा कि श्रीमद्भागवत का पठन श्रवण करने से सांसारिक प्राणी दैहिक दैविक भौतिक तापों से मुक्त हो जाता है और जीव को शांति मिलती है उन्होंने आगे कहा कि आनंदकंद नंदनन्दन बाल कृष्ण की सभी लीलाएं मानवमात्र के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं यह कथा परमपद दायिनी है जिस क्षण प्राणी श्रीमद्भागवतपुराण के श्रवण का संकल्प लेता है भगवान श्री कृष्ण उसी क्षण उस प्राणी के हृदय में बैठ जाते हैं आज की कथा में मुख्य यजमान श्रीमती इंदू शुक्ला व रामचन्द्र शुक्ल के साथआनंद त्रिपाठी,आचार्य करुणेश त्रिपाठी , राम गोपाल तिवारी,अमित शुक्ल, जय प्रकाश,अजय,रजत, शुभम, संध्या, रश्मि, जयकन्या शुक्ला, मंजू शुक्ला, राजश्री शुक्ला, रिमझिम ,पूजा ,निशा, अमृता,चंद्रकांत शुक्ला, देवमणि, चंद्रमौली तिवारी, अभिषेक, सूरज, आशीष चंदन,सौरभ गोलू , शिवि, ईशान काव्या जया शिवाय कुश गौरी राघव कान्हा माधव प्रफुल्ल अमन रानी विभा बेबी रोशनी राधा शिल्पी संस्कृति, सिद्धार्थ, हरिवंश, राम राज पाण्डेय साधू पाण्डेय,आदि उपस्थित रहे।कथा व्यास के शिष्य आचार्य अनुपम ने प्रातः चार बजे से ही प्रातःस्मरणीय मंत्रों के उच्चारण करने के साथ श्रीमद्भागवत का पाठ करते हुए ग्रामवासियों को जगाया कथा के प्रारंभ होने से लेकर साथ पधारी संगीत पार्टी के आचार्यों ने बीच बीच में एक से एक भावुक भजनों का गायन कर श्रोताओं को बांधे रखा।


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