अखिलेश्वर तिवारी/आदेश तिवारी
जनपद बलरामपुर के थाना सादुल्लाह नगर क्षेत्र में स्थापित एक अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही से प्रसूता की जान चली गई । इस घटना ने स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था की भी पोल खोल कर रख दी है । अस्पताल में कोई भी एमबीबीएस डॉक्टर तैनात नहीं है, उसके बावजूद भी ऑपरेशन वीयूएमएस डिग्री धारक डॉक्टर तथा बगैर डिग्री के लोगों द्वारा ऑपरेशन किए जा रहे हैं। ऐसे अस्पतालों को मान्यता कैसे मिल रही है और उनका संचालन कैसे हो रहा है यह एक बड़ा सवाल है । जिले में ऐसे दर्जनों अस्पताल संचालित किया जा रहे हैं जो मानक विहीन है परंतु स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी आंख कान बंद करके जनपद वासियों को उनके हाल पर छोड़ दिए हैं ।
31 अक्टूबर को रोशन हॉस्पिटल में डाक्टर की लापरवाही के चलते प्रसूता की जान चली गई। परिजनो द्वारा हंगामा करते हुए किया रोड जाम किया गया जिससे पुलिस प्रशासन के हाथ पांव फुल गए । उच्चाधिकारियों के बडे मानमनौवल के बाद पोस्टमार्ट कराने के लिए परिजन राजी हुए । परिजनो के तहरीर पर डाक्टर के विरुद्ध सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज कर शव को कबजे में लेकर उपजिलाधिकारी उतरौला व क्षेत्राधिकारी उतरौला के समक्ष पंचायत नामा भर कर पोस्टमार्ट के लिए रवाना किया गया। स्थानीय थाना क्षेत्र के ग्रामपंचायत गूमा फातमा जोत निवासी अनिल कुमार पुत्र कुवंर चंद जयसवाल द्वारा थाने में प्रार्थना पत्र देकर कहा गया है कि बीते 31 अक्टूबर मंगलवार को सांय 7 बडे पत्नी रीना कुमारी को प्रसव पीडा शुरु होने पर सादुल्लानगर स्थित रेहरा मार्ग पर रोशन हास्पिटल मे जांच के लिये लाया गया, जहां पर डाक्टर प्रबेज अहमद द्वारा चेक करने के बाद बताया गया कि रीना कुमारी को अस्पताल में भर्ती करना पडेगा । डाक्टर के कहने पर रीना कुमारी को असपताल मे भर्ती कर दिया गया । डाक्टर परबेज द्वारा कहा गया कि रीना कुमारी का आप्रेशन करना पडेगा, जिसके लिए 20 हजार रुपया जमा करना पडेगा। डाक्टर के कहने पर 20 हजार रुपया जमा करने के बाद रात्रि 10 बजे अप्रक्षिशित डाक्टर कारसाज द्वारा आप्रेशन करके बच्ची को जन्म दिलाया गया ।आप्रेशन के कुछ देर बाद प्रसूता की हालत बिगड़ने लगी । हालत बिगड़ता देख डाक्टर द्वारा प्रसूता को गोण्डा के लिये रेफर कर दिया गया जहां पर प्रसूता की मौत हो गयी । प्रार्थना पत्र को संज्ञान में लेते हुए तत्काल प्रभारी निरीक्षक बृजानंद सिंह द्वारा डाक्टर प्रबेज, डाक्टर कारसाज सहित चार लोगो के विरुद्ध सुसंगत धाराओं में इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट 1956 के तहत मुकदमा पंजीकृत कर मामले की जांच शुरू कर दी गई ।
बिना डिग्री चिकित्सक के संचालित हो रहे अस्पताल !
अब सवाल यह उठता है कि ऐसे मानक विहीन अस्पतालों का संचालन किसकी सह पर किया जा रहा है ? जिले में ऐसे दर्जनों अस्पताल हैं जहां पर रजिस्ट्रेशन के लिए लगाए गए एमबीबीएस डॉक्टर सैकड़ो किलोमीटर दूर रहते हैं । कभी अस्पताल तक आते भी नहीं है परंतु अस्पताल बराबर संचालित किया जा रहा है । वहां अप्रशिक्षित लोग गंभीर ऑपरेशन भी कर रहे हैं । अच्छी खासी रकम भी मरीजो से वसूली जा रही है । शासन प्रशासन द्वारा बनाए गए नियम कानून ताख पर रखकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी आंख कान बंद किए हुए हैं, जिसका खामिया जनपद वासियों को भुगतना पड़ रहा है । जिले के कई समाज सेवी तथा जानकार लोगों द्वारा शासन से ऐसे मानक विहीन अस्पतालों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई किए जाने की मांग की जा रही है ।



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