वीडियो
डेस्क:प्रकृति ने इंसान को ना सिर्फ जीवों से घिरा दिया है, बल्कि उनसे दोस्ती करने का भी मौका दिया है। पक्षी और इंसान के बीच दोस्ती की यह कहानी इस बात का अनोखा प्रमाण हैं। जहां इंसान ने एक सारस पक्षी की मदद करके उसका विश्वास कुछ इस तरह जीत लिया कि वह अब अपने पंक्षी समुदाय से दूर रहकर इंसानों के बीच में रहता है। जो इन दिनों क्षेत्र में इंसान और पक्षी के दोस्ती के चर्चा का विषय बना हुआ है।
यह अनोखा मिसाल उत्तर प्रदेश के गोंडा जनपद अंतर्गत मनकापुर तहसील क्षेत्र के बभनजोत ब्लॉक क्षेत्र के मन्नीजोत गांव के मजरे डीवलीडीह गांव में देखने को मिला है। बीते डेढ़ वर्ष से एक सारस पक्षी अपने आशियाने में ना रहकर इंसानो के घरों में रहता है। यह सारस पक्षी गांव के लोगों से इतना घुल मिल गया है कि अब गांव के किसी से भी घर में निर्भय होकर चला जाता है।
सारस ने गांव में जमाया डेरा
गांव के रहने वाले कल्लू से मिली जानकारी के अनुसार लगभग डेढ़ वर्ष पहले गांव के पास स्थित तालाब पर उसे सारस पक्षी घायल अवस्था में मिला था, जिसे कल्लू उठाकर गांव में ले आया, उसके बाद उसके जख्मों का इलाज किया। अपना उपचार होने के बाद सारस गांव में ही रहने लगा। जिससे सारस की गांव के लोगों से दोस्ती होती गई।
वापस नही जा रहा सारस पक्षी
कल्लू ने बताया कि सारस का जख्म भरने के बाद उसे गांव के पूरब नान तालाब जहां से उसे घायल अवस्था में लाया गया था, वहां वापस छोड़ दिया गया था, लेकिन तालाब पर सारस को छोड़कर वापस घर पहुंचा तो, देखा कि उसके घर पहुंचने से पहले ही सारस पक्षी उड़कर उसके घर पहुंच गया था। सारस को तालाब पर छोड़ने की प्रक्रिया कई बार दोहराए गई, लेकिन जितने बार भी सारस को तालाब पर छोड़ा गया, उतनी बार सारस तालाब से वापस घर आ गया।
गांव वालों से सारस की दोस्ती
ग्रामीणों की माने तो सारस पक्षी की अब लगभग पूरे गांव से दोस्ती हो गई है। अब वह गांव के प्रत्येक घरों तक पहुंचता है, गांव के सभी लोग उससे प्यार दुलार करते हैं। अब वह गांव के लोगों के आवाज देने मात्र से उनके तरफ चल पड़ता है। गांव वाले भी उसे अपने परिवार का हिस्सा मानते हैं।
एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ