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BALRAMPUR...दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार प्रारंभ



अखिलेश्वर तिवारी
जनपद बलरामपुर जिला मुख्यालय के एम एल के पी जी कॉलेज सभागार में शनिवार को जीवशास्त्र संकाय व एबीआरएफ (एशियन बायोलॉजिकल रिसर्च फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान तथा सीएसटी, यूपी (कॉउन्सिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी उत्तर प्रदेश द्वारा प्रायोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन में देश- विदेश के कई प्रमुख विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों के शिक्षाविदों व शोधार्थियों द्वारा जीव विज्ञान और अनुप्रयुक्त विज्ञान, अन्तर्सम्बन्ध विषयों में सतत विकास के परिप्रेक्ष्य विषय पर विस्तृत चर्चा की।


27 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह का शुभारंभ मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के सदस्य डॉ अशोक कुमार वर्मा, विशिष्ट अतिथि पूर्व निदेशक बांग्लादेश विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विनय चक्रवर्ती, कीनोट स्पीकर नेपाल विश्वविद्यालय के प्रो0 दिलीप झा, क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी गोरखपुर प्रो0 अश्वनी मिश्र, सम्मेलन के सह सरंक्षक व सचिव प्रबंध समिति लेफ्टिनेंट कर्नल आर के मोहन्ता , सम्मेलन के अध्यक्ष व प्राचार्य प्रो0 जे पी पाण्डेय, संयोजक व विभागाध्यक्ष प्राणी विज्ञान प्रो0 अशोक कुमार, समन्वयक डॉ सद्गुरु प्रकाश व आयोजन सचिव व विभागाध्यक्ष वनस्पति विज्ञान डॉ राजीव रंजन ने दीप प्रज्वलित एवं मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण करके किया।



सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि सदस्य उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग डॉ अशोक वर्मा ने कहा कि ईश्वर की सर्वोत्कृष्ट रचना है मानव । ज्ञान का प्रमुख उद्देश्य है कि अंधाधुंध मानव जनित प्रक्रियाओं से दूर रहें और मानवीय मूल्यों का उन्नयन करें। उन्होंने शोधार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि दूरदृष्टि, पक्का इरादा, निश्चित लक्ष्य ,कड़ी मेहनत व अनुशासन के बलबूते पर बड़ी से बड़ी सफलता अर्जित की जा सकती है।



बांग्लादेश से आये प्रोफेसर विनय चक्रवर्ती ने कहा कि आज की पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए प्राकृतिक विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, इंजीनियरिंग और प्रबंधन के विषयों का मिश्रण आवश्यक हो गया है। हम तेजी से मानवजनित पर्यावरणीय परिवर्तनों वाली दुनिया में जकड़ते जा रहे हैं। कीनोट स्पीकर नेपाल के प्रोफेसर प्रो0 दिलीप झा ने एशियन बायोलॉजिकल रिसर्च फाउंडेशन के कार्य वृत एवं उद्देश्य पर विधिवत जानकारी दी। क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी गोरखपुर प्रो0 अश्वनी मिश्र ने कहा कि विद्या विनय प्रदान करती है। शिक्षा ज्ञान प्राप्ति का माध्यम है और ज्ञान से सुख व शांति की अभिलाषा की जाती है। बदले परिदृश्य में शिक्षा की अवधारणा बदल गई जिससे कई समस्याएं उत्पन्न हुई हैं। सचिव प्रबंध समिति लेफ्टिनेंट कर्नल मोहन्ता ने कहा कि यह महाविद्यालय के लिए गौरव का विषय है कि ऐसे सम्मेलन का आयोजन किया है जिसमें पहली बार दो देशों के प्रतिनिधि भौतिक रूप से जबकि 04 देशों के प्रतिनिधि ऑनलाइन अपना विचार रखेंगे।


प्राचार्य प्रो0 पाण्डेय ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि मुझे उम्मीद है कि यह अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन हमें पर्यावरणीय मुद्दों से निपटने में मदद करेगा और इतना ही नहीं हम सतत विकास से सम्बंधित कुछ मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे। समन्वयक डॉ सद्गुरु प्रकाश ने सम्मेलन के थीम पर अपना विचार प्रस्तुत किया। आयोजन सचिव डॉ राजीव रंजन ने अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया और दो दिनों तक चलने वाले अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के पूर्णता के लिए शोधार्थियों का आह्वान किया। समारोह का सफल संचालन महाविद्यालय के एसोसिएट एन सी सी अधिकारी लेफ्टिनेंट डॉ देवेन्द्र कुमार चौहान ने किया।


इस दौरान अतिथियों ने देश-विदेश के शिक्षाविदों व शोधार्थियों द्वारा प्रस्तुत एब्सट्रेक्ट के प्रकाशित सोविनियर का विमोचन किया गया। इसके पूर्व समारोह की औपचारिक शुरुआत सरस्वती वंदना एवं महाविद्यालय के कुलगीत से हुआ। कार्यक्रम के दौरान महाविद्यालय के सचिव ,प्राचार्य व आयोजन सचिब द्वारा मुख्य अतिथि डॉ अशोक वर्मा को उत्तर प्रदेश के राजकीय पक्षी की घटती संख्या पर उन्हें बढ़ावा देने के लिए सारस का जोड़ा स्मृति चिन्ह के रूप में भेंटकर सम्मानित किया गया।


वहीं जेडीएसए (जीसा) संस्था द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान के लिए एम एल के महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो0 जे पी पाण्डेय को मुख्य अतिथि ने डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन अवार्ड से सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त सभी सम्मानित अतिथियों को महाविद्यालय द्वारा स्मृति चिन्ह व अंगवस्त्र तथा एबीआरएफ द्वारा बांग्लादेश के प्रो0 विनय चक्रवर्ती व नेपाल के प्रो0 दिलीप झा को ग्लोबल रेकोगिनिएशन अवार्ड से सम्मानित किया गया।


इसके अतिरिक्त कई अन्य शिक्षाविदों को लाइफ टाइम अचीवमेंट, पर्यावरण श्री सम्मान सहित कई पुरस्कार प्रदान किया गया। इस अवसर पर देश के कई विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों के शिक्षाविद व शोधार्थी मौजूद रहे

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