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BALRAMPUR...दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ



अखिलेश्वर तिवारी
जनपद बलरामपुर जिला मुख्यालय स्थित एमएलके पीजी कॉलेज के इतिहास विभाग की ओर से आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ मंगलवार को हुआ। संगोष्ठी में वक्ताओं ने मध्यकालीन भारत के दौरान समाज और संस्कृति (1200 ईसवी से 1707 ईसवी) के बारे में विधिवत जानकारी दी।




8 अप्रैल को आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ कार्यक्रम अध्यक्ष बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मोशरर्फ अली, मुख्य अतिथि महाविद्यालय प्रबंध समिति के संयुक्त सचिव बी के सिंह, कीनोट स्पीकर प्रो0 ताबिर आलम, संगोष्ठी के अध्यक्ष एवं प्राचार्य प्रो0 जे पी पाण्डेय, पूर्व प्राचार्य प्रो0 आर के सिंह, मुख्य नियंता प्रो0 राघवेंद्र सिंह, संगोष्ठी व आई क्यू ए सी संयोजक प्रो0 तबस्सुम फरखी व आयोजन सचिव शालिनी सिंह ने दीप प्रज्वलित एवं माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण करके किया।


संगोष्ठी की औपचारिक शुरुआत महाविद्यालय की छात्राओं द्वारा प्रस्तुत माँ सरस्वती की वन्दना व महाविद्यालय के कुलगीत से हुआ। उपस्थित शोधार्थियों को संबोधित करते कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ मोशरर्फ अली ने कहा कि हिंदुस्तान अनेकता में एकता का मिसाल है। मध्यकालीन भारत में सामाजिक परिवर्तन का दौर रहा है। मुख्य अतिथि प्रबंध समिति के संयुक्त सचिव बी के सिंह ने कहा कि प्रत्येक चीज का इतिहास है। जगत में जितने तत्व हैं उन सबका अपना इतिहास है। उन्होंने सेमिनार के आयोजन की आवश्यकता एवं प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। कीनोट स्पीकर प्रो0 ताबिर कलाम ने शोधकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में मध्ययुगीन युग में शक्तिशाली राजवंशों और साम्राज्यों का उत्थान और पतन देखा गया, जिसने उपमहाद्वीप के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य पर अमिट छाप छोड़ी। गुप्त साम्राज्य से लेकर दिल्ली सल्तनत और मुगल साम्राज्य तक, इन शासक शक्तियों ने भारतीय इतिहास के पथ को बहुत प्रभावित किया।


इस अवधि ने भारतीय उपमहाद्वीप में इस्लाम की शुरूआत को भी चिह्नित किया, जिससे धर्म, संस्कृति और कला में परिवर्तनकारी बदलावों की शुरुआत हुई। उन्होंने कहा कि भारत में मध्ययुगीन काल इसके इतिहास का एक मनोरम अध्याय था, जो गतिशील राजनीतिक परिवर्तनों, सांस्कृतिक जीवंतता और बौद्धिक उपलब्धियों से चिह्नित था। राजनीतिक परिदृश्य से लेकर धर्म तक, वास्तुकला से साहित्य तक और विज्ञान से व्यापार तक, मध्ययुगीन भारत का हर पहलू वैभव से भरा हुआ है। महाविद्यालय प्राचार्य प्रो0 जे पी पाण्डेय ने अतिथियों को स्मृति चिन्ह व हरित पौध प्रदानकर सभी का स्वागत किया। संगोष्ठी के संयोजक प्रो0 तबस्सुम फरखी ने संगोष्ठी के शीर्षक व अतिथियों का संक्षिप्त परिचय दिया। संयुक्त आयोजन सचिव सिद्धि शुक्ला ने धन्यवाद ज्ञापित किया। संगोष्ठी का संचालन महाविद्यालय के एसोसिएट एन सी सी ऑफिसर लेफ्टिनेंट डॉ देवेन्द्र कुमार चौहान ने किया। संगोष्ठी में डॉ जितेन्द्र कुमार व डॉ अभिषेक सिंह ने तकनीकी रूप से सराहनीय योगदान दिया । इस अवसर पर प्रो0 प्रकाश चन्द्र गिरी, प्रो0 अरविंद द्विवेदी, प्रो0 पी के सिंह, डॉ तारिक कबीर, डॉ दिनेश कुमार मौर्य, डॉ अनामिका सिंह, डॉ सद्गुरु प्रकाश, डॉ अजहरुद्दीन, डॉ प्रखर त्रिपाठी, डॉ सुनील कुमार शुक्ल, डॉ अनुज सिंह, डॉ विनीत कुमार, सीमा पाण्डेय व हरि प्रताप सिंह सहित तमाम लोग मौजूद रहे।

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