अखिलेश्वर तिवारी
जनपद बलरामपुर के तहसील मुख्यालय स्थित आदिशक्ति मां पाटेश्वरी पब्लिक स्कूल में आयोजित हो रहे दो दिवसीय व्याख्यान माला का समापन शनिवार को मुख्य वक्ता एमएलके पीजी कॉलेज में वनस्पति विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ राजीव रंजन द्वारा दिए गए व्याख्यान के साथ किया गया ।
5 सितंबर को शिक्षक दिवस की अवसर पर गोरखनाथ मंदिर गोरखपुर के पूर्व पीठाधीश्वर ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ की 56 वीं एवं ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ की 11वीं पुण्यतिथि के अवसर पर आदिशक्ति मां पाटेश्वरी पब्लिक स्कूल में आयोजित व्याख्यान माला में मुख्य अतिथि प्रोफेसर श्रीप्रकाश मिश्र, पूर्व अधिष्ठाता, शिक्षा संकाय, सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु सिद्धार्थ नगर ने कहा कि नाथ पंथ की योग परंपरा में गुरु आधार बिन्दु होता है तथा गुरु से दीक्षा लेने के पश्चात संपूर्ण जीवन अनुशासन बद्ध हो जाता है । मां पाटेश्वरी तीर्थ स्थल की पवित्र भूमि में आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि आचार्य श्री प्रकाश मिश्र तथा मुख्य वक्ता एवं विशिष्ट अतिथि डॉ राजीव रंजन, अध्यक्ष, वनस्पति विज्ञान एमएलके पीजी कॉलेज बलरामपुर तथा प्राचार्य डॉ डी पी सिंह के द्वारा दीप प्रज्वलन तथा पूर्व पीठाधीश्वर महंत द्वय के चित्र पर माल्यार्पण के द्वारा हुआ । प्राचार्य डॉ डीपी सिंह के द्वारा अतिथियों का माल्यार्पण तथा उत्तरीय द्वारा स्वागत किया गया। इसके पश्चात मुख्य वक्ता के रूप में डॉ राजीव रंजन ने पूर्व महंत ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ तथा ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ के व्यक्तित्व एवं उनके द्वारा किए गए सामाजिक एवं शैक्षिक कार्यों का विस्तार से उल्लेख किया। उन्होंने पर्यावरण प्रदूषण एवं उसके समाधान में पौधों की योगदान विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया । उन्होंने पौधों को रोपित करने, मिट्टी संरक्षण, जैव विविधता तथा जल चक्र की प्रक्रिया तथा निर्वानीकरण पर प्रकाश डाला । प्रोफेसर मिश्रा ने शिक्षा और अनुशासन नाथ पंथ के विशेष संदर्भ में विषय पर चर्चा करते हुए शिक्षा में अनुशासन का अर्थ, महत्व, रणनीति का विशद वर्णन किया। आदर्शवाद, यथार्थवाद, प्रकृतिवाद, प्रयोजनवाद शैक्षिक दर्शनों में अनुशासन को स्पष्ट करते हुए नाथ पंथ में प्रचलित अनुशासन पर ध्यान केंद्रित किया । श्री मिश्र ने बताया कि नाथ पंथ की योग परंपरा में गुरु आधार बिंदु है । गुरु से दीक्षा लेने के पश्चात व्यक्ति का संपूर्ण जीवन अनुशासन बद्ध हो जाता है । वैसे ही विद्यालय में छात्रों को ज्ञानेंद्रिय पर विजय, अल्पाहार योग तथा आत्म संयम के अभ्यास द्वारा अनुशासन स्थापित किया जा सकता है। अपनी बात को गोरखवाणी में उल्लिखित दृढ़ अनुशासन के साथ आनंदमय जीवन को व्यतीत करने के साथ किया । हसीबा खेलिबा रहीबा रंग। काम क्रोध न करीबा सन्ग।। हसीब खेलिबा गैईबा गीत । दीढ़ करीब राखी आपन चित ।।
एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ