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वेद में पूरी सामाजिक व्यवस्था बनाये रखने की शिक्षा उपलब्ध है :कमल आर्य


सुनील उपाध्याय 
बस्ती 28 जुलाई। आर्य समाज नई बाजार बस्ती द्वारा ग्राम भरवलिया बस्ती में आयोजित अथर्ववेद पारायण महायज्ञ के तृतीय दिवस को वेदमंत्रों से अहुतियाॅ दिलाते हुए वेदपाठी विकास व कमल आर्य ने बताया कि इस वेद में विद्यार्थियों को सेकेण्ड, मिनट, घण्टा, दिवस, वर्ष, शताब्दी व सहस्राब्दि से आगे युग, चतुर्युगी व कल्पादि काल गणना के बारे में प्रारम्भ से ही शिक्षा देने की बात कही गयी है। पूरी सामाजिक व्यवस्था बनाये रखने के लिए गृहसंगठन, ग्रामसंगठन, जिला संगठन, राष्ट्रसंगठन, अन्तर्राष्ट्रीय संगठन को बनाने व संचालन करने की शिक्षा दी गयी है जिससे सहायता लेकर हम अपने राष्ट्र को सुसंगठित कर सकते हैं। 

आचार्य सोमदेव ने बताया कि इस बस्ती 28 जुलाई। आर्य समाज नई बाजार बस्ती द्वारा ग्राम भरवलिया बस्ती में आयोजित अथर्ववेद पारायण महायज्ञ के तृतीय दिवस को वेदमंत्रों से अहुतियाॅ दिलाते हुए वेदपाठी विकास व कमल आर्य ने बताया कि इस वेद में विद्यार्थियों को सेकेण्ड, मिनट, घण्टा, दिवस, वर्ष, शताब्दी व सहस्राब्दि से आगे युग, चतुर्युगी व कल्पादि काल गणना के बारे में प्रारम्भ से ही शिक्षा देने की बात कही गयी है।

 पूरी सामाजिक व्यवस्था बनाये रखने के लिए गृहसंगठन, ग्रामसंगठन, जिला संगठन, राष्ट्रसंगठन, अन्तर्राष्ट्रीय संगठन को बनाने व संचालन करने की शिक्षा दी गयी है जिससे सहायता लेकर हम अपने राष्ट्र को सुसंगठित कर सकते हैं। आचार्य सोमदेव ने बताया कि इस वेद में भिन्न भिन्न अपराधों के लिए अलग अलग दण्ड की भी व्यवस्था दी गयी है। यहाॅ तक कि शत्रुप्रेरित गुप्तचर स्त्री को अपने अनुकूल करने की विद्या भी इसके मंत्रों में बताई गयी है। शत्रुओं की चाल व उसे परास्त करने व दण्ड देने के तमाम विधियों का वर्णन किया गया है इसके अलावा विमानों द्वारा युद्ध व नील व लोहित रश्मियों द्वारा शत्रु पर विजय आदि का वर्णन किया गया है। 

एक वेद मंत्र की व्याख्या करते हुए उन्होने कहा कि उल्लू अंधकारप्रिय होता है, भेड़िया स्वार्थी व क्रोधी होता है क्रोध में हम अपना मन, शरीर व धन की बर्बादी ही करते हैं। कुत्ता स्वजाति से वैर रखता है आज स्वजाति से वैर के कारण विभिन्न प्रकार के मत मजहब देश में फैलकर भयंकर अंधविश्वास व पाखण्ड फैला रहे हैं।। वेदमंत्र में मनुष्य को सलाह दी गई है कि वे उल्लू, भेड़िया, कुत्ते की चाल चलना छोड़ देना चाहिए तभी वे सुखी हो सकते हैं। उन्होने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि आज देश का दुर्भाग्य है कि देश की शिक्षा में वेद की शिक्षाओं के गलत भाष्य को पढ़ाया जा रहा है जिससे हमारे विद्यार्थी वेदादि शास्त्रों से घृणा कर रहे हैं। 

यदि आज से भी हमारे विश्वविद्यालय में महर्षि दयानन्द जैसे ऋषियों के वेद भाष्य पढ़ाये जाय तो भारत विश्व गुरू बन सकता है। इस इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से यजमान आनन्द स्वरूप आर्य, ओम प्रकाश आर्य, रचित आर्य, अलख निरंजन आर्य, ओंकार आर्य, कंचन, रजनी आर्य, कलावती शर्मा, सुरेन्द्र शर्मा, अरविन्द श्रीवास्तव, ईश्वर चन्द्र आर्य, प्रमोद श्रीवास्तव, मनोज कुमार, उपेन्द्र आर्य, विश्वनाथ आर्य, विजय कुमार पाण्डेय, राजेश कुमार आर्य, राजदेव यादव, नीलेश गौरव, ब्रह्मानन्द पाण्डेय, राजकुमार, रामजीत राधेश्याम आर्य, देवव्रत आर्य सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।दी गयी है। 

यहाॅ तक कि शत्रुप्रेरित गुप्तचर स्त्री को अपने अनुकूल करने की विद्या भी इसके मंत्रों में बताई गयी है। शत्रुओं की चाल व उसे परास्त करने व दण्ड देने के तमाम विधियों का वर्णन किया गया है इसके अलावा विमानों द्वारा युद्ध व नील व लोहित रश्मियों द्वारा शत्रु पर विजय आदि का वर्णन किया गया है। एक वेद मंत्र की व्याख्या करते हुए उन्होने कहा कि उल्लू अंधकारप्रिय होता है, भेड़िया स्वार्थी व क्रोधी होता है क्रोध में हम अपना मन, शरीर व धन की बर्बादी ही करते हैं। कुत्ता स्वजाति से वैर रखता है आज स्वजाति से वैर के कारण विभिन्न प्रकार के मत मजहब देश में फैलकर भयंकर अंधविश्वास व पाखण्ड फैला रहे हैं।

 वेदमंत्र में मनुष्य को सलाह दी गई है कि वे उल्लू, भेड़िया, कुत्ते की चाल चलना छोड़ देना चाहिए तभी वे सुखी हो सकते हैं। उन्होने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि आज देश का दुर्भाग्य है कि देश की शिक्षा में वेद की शिक्षाओं के गलत भाष्य को पढ़ाया जा रहा है जिससे हमारे विद्यार्थी वेदादि शास्त्रों से घृणा कर रहे हैं। यदि आज से भी हमारे विश्वविद्यालय में महर्षि दयानन्द जैसे ऋषियों के वेद भाष्य पढ़ाये जाय तो भारत विश्व गुरू बन सकता है। 

इस इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से यजमान आनन्द स्वरूप आर्य, ओम प्रकाश आर्य, रचित आर्य, अलख निरंजन आर्य, ओंकार आर्य, कंचन, रजनी आर्य, कलावती शर्मा, सुरेन्द्र शर्मा, अरविन्द श्रीवास्तव, ईश्वर चन्द्र आर्य, प्रमोद श्रीवास्तव, मनोज कुमार, उपेन्द्र आर्य, विश्वनाथ आर्य, विजय कुमार पाण्डेय, राजेश कुमार आर्य, राजदेव यादव, नीलेश गौरव, ब्रह्मानन्द पाण्डेय, राजकुमार, रामजीत राधेश्याम आर्य, देवव्रत आर्य सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।

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