अखिलेश्वर तिवारी
जनपद बलरामपुर में पायनियर पब्लिक स्कूल एण्ड कालेज में मंगलवार को ‘महर्षि वाल्मीकि‘ की जयंती धूमधाम से मनाया गया । विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया ।
7 अक्टूबर को शहर के अग्रेंजी माध्यम विद्यालय पाॅयनियर पब्लिक स्कूल एण्ड काॅलेज, बलरामपुर में ‘महर्षि वाल्मीकि जी‘ की जयंती मनायी गयी। विद्यालय के प्रबन्ध निदेशक डा0 एमपी तिवारी एवं प्रधानाचार्य सैयद इकलाख हुसैन ने महर्षि वाल्मीकि के चित्र पर माल्यार्पण करके आरती उतारा तत्पश्चात् सभी अध्यापक अध्यापिकाओं ने आरती उतारी। प्रबन्ध निदेशक व प्रधानाचार्य ने विद्यालय के कर्मचारी शुभम् बाल्मीकि को पुष्प गुच्छ, अंगवस्त्र व उपहार देकर सम्मानित किया। प्रबन्ध निदेशक ने बताया कि महर्षि वाल्मीकि का पुराना नाम रत्नाकर दास था। महर्षि वाल्मीकि को महर्षि और आदि कवि नामक उपाधियों से भी सम्मानित किया गया है। जहां महर्षि का अर्थ महान संत या महान ऋषि है, और आदि कवि का अर्थ प्रथम कवि। महर्षि वाल्मीकि संस्कृत रामायण के प्रसिद्ध रचयिता है। इन्होनें संस्कृत में रामायण की रचना की। महर्षि वाल्मीकि द्वारा रची रामायण वाल्मीकि रामायण कहलाई। रामायण एक महाकाव्य है जो कि राम के जीवन के माध्यम से हमें जीवन के सत्य व कर्तव्य से, परिचित करवाता है। आदि कवि शब्द ‘आदि‘ और ‘कवि‘ के मेल से बना है। ‘आदि‘ का अर्थ होता है ‘प्रथम‘ और ‘कवि‘ का अर्थ होता है ‘काव्य का रचयिता‘। महर्षि वाल्मीकि ने संस्कृत के प्रथम महाकाव्य की रचना की थी जो रामायण के नाम से प्रसिद्ध है। प्रथम संस्कृत महाकाव्य की रचना करने के कारण वाल्मीकि आदि कवि कहलाये। महर्षि वाल्मीकि जयंती पर, रामायण की महाकाव्य शिक्षाएं आपको हर दिन एक बेहतर इंसान बनने के लिए प्रेरित करें, वाल्मीकि जयंती कलम की ताकत की याद दिलाती है। महर्षि वाल्मीकि के शब्द और कार्य हमेशा सच्चाई और अच्छाई को दर्शाते हैं । विद्यालय के छात्र-छात्राओं द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम, भाषण एवं कला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम के अन्तर्गत कोमल गौतम ने भगवान वाल्मीकि का अभिनय किया। इसके बाद एक समूह नृत्य गीत- हे वाल्मीकि भगवान करें तुम्हें नामक गीत पर आशी, श्रेया, नितिका, आस्था, सिया, प्रेरणा, अनुकृति आदि बहुुत ही मनमोहक व सुन्दर प्रस्तुति दी। तत्पश्चात भाषण कार्यक्रम में आलोक, मान्या, दर्शिका, आयुष्मान, फैजा, माशू, वैभव आदि ने प्रतिभाग किया। इसी क्रम में कला प्रतियोगिता में इशिता, साम्भवी, अयान, मरियम, उपासना, काव्या, मेधावी, सौम्या, अभिराज, रत्ना, आव्या, श्रेया आदि छात्र-छात्राओं ने माहर्षि वाल्मीकि जी का चित्र बनाकर अपनी-अपनी कला का प्रदर्शन किया। अन्त में प्रबन्ध निदेशक ने बच्चों द्वारा समूह नृत्य की प्रस्तुति को देखकर समस्त प्रतिभागिओं का उत्साहवर्धन करते हुए बताया कि महर्षि वाल्मीकि जंयती अश्विन माह के महीने (सितम्बर-अक्टूबर) के पूर्ण चन्द्रमा यानी पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस अवसर पर वाल्मीकि की प्रतिमा को फूल-माला चढ़ाकर और दियों की रोशनी करके मनाया जाता है। कुछ लोगों के द्वारा वाल्मीकि मंदिर को फूलों और अन्य सजावटी सामानों से सजाया जाता है। यह पर्व वाल्मीकि के प्रति प्यार और स्नेह के साथ मनाया जाता है। इस अवसर पर विद्यालय, उप प्रधानाचार्या प्रधानाचार्य शिखा पाण्डेय, राघवेन्द्र त्रिपाठी सहित समस्त अध्यापक अध्यापिकाएं उपस्थित रहे।
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